मेरी कहानी हर महिला से मिलती जुलती है। जो रोज बस का सफर कर स्कूल, ऑफिस या काम के सिलसिले से जाती है। मेरे शहर मे बस अगर सही समय में आ जाए तो मानो आज का दिन शुभ है। रोजाना मैं बस में बैठ ऑफिस के लिए निकलती हूं, आज का दिन मानो अच्छा है बस, समय पर मिल गयी लेकिन भीड़ थोड़ा ज्यादा थी जिस कारण बस पर खड़े होकर जाना पड़ा।
भीड़ इतनी थी की पैर रखने की जगह नहीं थी, बैठने के लिए जगह मिल जाए ये तो नामुमकिन सा व्यतीत हो रहा था तो मैं एक जगह स्थिर खड़ी हो गयी जिससे धक्का लगने के बाद गिरने से सावधान रहूं। मेरे आगे दो दोस्त खड़ी थी अपनी स्कूल की बातों में मगन हो रखी थी, वो भी क्या दिन थे।
पुराने दिन ताजा ही हो रहे थे कि अचानक शरीर को अजीब एहसास हुआ मानो मेरा हर अंग खिच रहा हो और कह रहा हो छोड़ो, मेरा शरीर गरम हो रहा था और मन डरा हुआ था। मैनें अपने शरीर को आगे की ओर पीछे मुड़ कर देखा तो एक व्यक्ति हल्की मुस्कान दे कर चला गया। उसका चेहरा एक शैतान से कम नहीं था, मैं अंदर ही अंदर डरने लगी। बस में हर एक व्यक्ति अंजान था, वो दो सहेलियां अभी भी बातों में मग्न थी किसी को कुछ मालूम नहीं हुआ। भीड़ में मुझे एक शैतान ने शोषण करने की कोशिश की लेकिन मैं कुछ नहीं कर पायी…!!
शायद वो दिन डरावने दिन से कम नहीं था, अब बस में जाने से काफी डर लगता है, शैतानों से बच-बच कर बस में सफर करती हूं। हां, अभी भी मैं गलत हूं आवाज नहीं उठा रही हूं…!!!
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