Khatu Shyam Mandir। खाटू श्याम मंदिर

Khatu Shyam Mandir। खाटू श्याम मंदिर

Khatu Shyam Mandir। खाटू श्याम मंदिर:

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भारत और मंदिर यह समीकरण सालों से चलता आ रहा है।भारत मैं 33 करोड़ देवताओं को माना जाता हैं।मंदिर की माने तो देश मैं हम गिनती भी करे तो कम है इतने सारे मंदिर है।सभी मंदिर का अलग अलग इतिहास है।सभी मंदिरों के चलते कहानियां जुड़ी रहती हैं।
इस आर्टिकल मैं हम ऐसे ही एक भारत के प्रसिद्ध मंदिर खाटू श्यामजी (Khatu Shyam Mandir। खाटू श्याम मंदिर) का मंदिर इसके बारे मैं जानने वाले हैं।

खाटू श्याम नाम क्यों मिला

खाटू श्याम मंदिर यह बहुत प्राचीन मंदिर है।यह मंदिर भारतीय राज्य राजस्थान के सीकर जिले में सीकर शहर से नजदीक सिर्फ 43 किमी दूर खाटू गांव में स्थित एक हिंदू मंदिर है।इस गांव के नाम से ही इसको खाटू नाम मिला है।दरअसल यह मंदिर मैं देवता है वह कृष्ण और बर्बरीक की पूजा करने के लिए एक तीर्थ स्थल है, इसे अक्सर कुलदेवता के रूप में पूजा जाता है।

अब हम जानते है की बर्बरीक कौन है वहा के भक्तों का मानना है की मंदिर मैं बर्बरीक का असली सिर है।बर्बरीक यह एक बड़े योद्धा थे।इस योद्धा ने श्री कृष्ण जी के कहने पर अपना सिर काटकर श्री कृष्ण जी को उन्हें गुरु दक्षिणा के रूप में अर्पित कर दिया था।

इसके बदले मैं बाद में श्री कृष्ण ने उन्हें श्याम नाम से पूजित होने का आशीर्वाद दिया। इसिलिए इस मंदिर को खाटू श्यामजी के नाम से जाना जाता है।जिसमे खाटू यानी खाटू गांव का नाम और श्याम यानी श्री कृष्ण जी ने दिया हुआ नाम हैं।

खाटू श्याम मंदिर का निर्माण जो है वह राजा रूप सिंह चौहान मंदिर 1027 ई. में और उनकी पत्नी नर्मदा कँवर द्वारा बनाया गया है। राजस्थान मारवाड़ के शासक ठाकुर के दीवान अभय सिंह ने ठाकुर के निर्देश पर १७२० ई. में मंदिर का जीर्णोद्धार खुद कराया था।

कौनसे महीने मैं खाटू श्याम मंदिर मैं जाना चाहिए।

दरअसल भगवान के दर्शन करने के लिए कोई खास वक्त नहीं रहता लेकिन फिर भी इस खाटू श्याम मंदिर आप भी जाना चाहते हो तो खाटू श्याम लक्खी मेले का नियोजन हरसाला फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष के अष्टमी से नवमी तिथियों पर किया जाता है।

यह मेला इसीलिए फैमस है क्योंकि इस मेले में लाखों श्रद्धालु अपने श्रद्धास्थान खाटू श्याम बाबा के दर्शन के लिए आते हैं और अपने मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए उन्हें प्रार्थना करते हैं और हम किस प्रकार से हमारी सेवा दे सकते है ऐसा सोचकर अपने तरफ से कुछ न कुछ दान भी देते है।

इस मेले मैं लगभग ९० लाख तक लोग आते है।इतने बड़े संख्या मैं लोग आते कई तो सभी प्रशासनिक व्यवस्थाएं भी बहुत बड़े पैमाने पर करते है। हरसाल सरकार द्वारा सभी आवश्यक सुरक्षा व्यवस्थाएँ बनाई जाती है ताकि श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के श्याम बाबा के दर्शन कर सकें।

इस मेले मैं मंदिर तक पहुंचने के लिए १२ किलोमीटर की लंबी दूरी पैदल यात्रा करनी पड़ती है।खाटू श्याम बाबा का मेला एक ऐसा उत्सव रहता है जिसमे सभी धर्मों के लोग एकसाथ आते है और अपनी एकता की नीव रखते है।

खाटू श्याम मंदिर कैसे पहुंचे

खाटू श्याम मंदिर आप अलग अलग जरिए से जा सकते है जैसे की बस,फ्लाइट या रेलवे कौनसा भी रास्ता आप चुन सकते है।

अगर आप ट्रेन या फिर बस का उपयोग करके जाना चाहते हो तो आपको सबसे पहले नजदीकी रेलवे स्टेशन जो की जयपुर है वहा जाना होगा। जयपुर पहुंचने के बाद वहा से बस स्टैंड जाके सीधे बस या टैक्सी करके ८० किलोमीटर दूर स्थित श्री खाटू श्याम बाबा मंदिर जा सकते है।

अगर आप फ्लाइट से जल्दी जान चाहते है तो आपको जयपुर के एयरपोर्ट पर जाना होगा ।एयरपोर्ट पर जाने के बाद वहा से आपको बस या फिर टैक्सी को लेकर ९४ किलोमीटर स्थित श्री खाटू श्याम बाबा मंदिर पहुंच सकते है।आपको खाटू श्याम मंदिर के नजदीक रहना है तो वहापार रहने की भी खास व्यवस्था की गई है।रहने के लिए श्रद्धालु को धर्मशाला है और अन्य प्राइवेट होते भी आपको वहा पर मिल सकते है।

इस प्रकार, खाटू श्याम में रुकने के लिए आपको सारे आवश्यक सुविधाएं और विकल्प मिलेंगे जो आपकी यात्रा को सुखद बनाए रखेंगे।

खाटू श्याम जी के अन्य नाम

तीन बाण धारी – बर्बरीक से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें तीन अभेद्य बाण दिए थे, इसलिए इन्हें तीन बाण धारी भी कहा जाता है। इन तीन बाणों में बहुत ताकत थी क्योंकि यह भगवान शिव द्वारा दिए गए थे उन्होंने महाभारत का युद्ध इन तीन बाणों द्वारा ही खत्म किया जा सकता था।

खाटू श्याम बाबा दुनिया के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर जाने जाते है। जिनके सिवाय श्रीराम को इस पद का सम्मान प्राप्त है।
ऐसा माना जाता है की बर्बरीक अपने पिता घटोत्कच से भी ज्यादा शक्तिशाली और मायावी थे इसकी वजह से भगवान शिव भी उनसे खुश हुए।

शीश का दानी – अपनी मां के कहे अनुसार बर्बरीक युद्ध में हारने वाले पक्ष का साथ देने आए क्योंकि उनके मां का आदेश था। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण जानते थे कि कौरवों को हारता देखकर बर्बरीक कौरवों का साथ देंगे,क्योंकि मां के कहने के अनुसार उनको जो हार रहे है उनका साथ देना होगा।
तब भगवान श्री कृष्ण ने ब्राह्मण का रूप धारण किया और बर्बरीक से शीश दान में मांगा। इसपर बर्बरीक ने अपनी तलवार के द्वारा कोई भी विचार किए बिना भगवान के चरणों में अपना सिर अर्पित कर दिया। अपना शीश दान किया इसलिए उन्हें शीश का दानी कहा जाता है।

खाटू श्याम मंदिर का महत्व

खाटू श्याम मंदिर भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण स्थान है, जो भक्तों को धार्मिकता, आध्यात्मिकता और आनंद का अनुभव कराता है। इस मंदिर के चारों ओर के चमत्कार और भक्तों की आस्था यहां की महिमा और भी हैं।

खाटू श्याम मंदिर के स्थापना का अन्य एक महत्वपूर्ण कारण है खाटू श्याम जी के लीलाओं और चमत्कारों की अनगिनत कहानियों में जो भक्तों को वहा जाने पर मजबूर कर देती है।इस मंदिर के प्रसिद्ध श्याम कुंड में स्नान करने से विश्वास किया जाता है कि भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
उम्मीद है की आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा।अगर और जानकारी चाहिए तो आप हमसे संपर्क कर सकते है।

 

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