New Delhi: हर साल आईएएस (IAS) बनने का सपना लिए लाखों की तादाद पर बच्चें परीक्षा देते है और कुछ ही छात्र अपनी मंजिल को साकार कर पाते है। सफलता के शिखर में काफी आईएएस ऑफिसर बने है और सबके पीछे एक कहानी भी है। ऐसी ही कहानी धीरज कुमार सिंह (Dheeraj Kumar Singh) की है, जिन्होंने डॉक्टर की नौकरी छोड़ पहली बार में परीक्षा को क्रैक कर लिया और आईएएस अफसर बन गए। क्या कारण है डॉक्टर की नौकरी छोड़ने का कारण आए कहानी को विस्तार से बताते है।
बीएचयू से एमडी की डिग्री की पूरी और बने डॉक्टर
धीरज कुमार सिंह (Dheeraj Kumar Singh) उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले है। शुरुआत से ही पढ़ाई में काफी अच्छे थे और उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई हिंदी मीडियम स्कूल से की थी। 12वीं में अच्छे नंबर लाने के बाद धीरज ने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन लिया और इसके बाद यहीं से उन्होंने अपनी एमडी की डिग्री भी पूरी की। पढ़ाई के दौरान उन्होंने कईं समस्या भी देखने पड़ी, उनकी मां की तबियत काफी खराब रहती थी जिसके कारण उन्हें अकसर बनारस से घर जाना पड़ता था। पिता दूसरे शहर में नौकरी करते थे जिसके कारण धीरज को ही सब संभालना पड़ता था। इसके बाद धीरज ने अधिकारियों से मिलकर पिता का ट्रांसफर होम टाउन करवाने की गुजारिश की, लेकिन अधिकारियों ने उनकी कोई मदद नहीं और उनका बिहेवियर काफी रूड थे। धीरज को यह बात यह बहुत बुरी लगी और कि डॉक्टर होने के बावजूद उनकी बात नहीं सुनी गई। जिसके बाद आईएएस बनने का सपना लिए उन्होंने यूपीएससी एग्जाम की करी तैयारी।
पांच लाख की नौकरी ठुकरा कर यूपीएससी (UPSC) एग्जाम की तैयारी
एमडी की डिग्री पूरी करने के बाद धीरज कुमार सिंह (Dheeraj Kumar Singh) के पास हर महीने करीब 5 लाख रुपये कमाने का मौका था, लेकिन उन्होंने नौकरी नहीं करने का फैसला नहीं किया। धीरज के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, लेकिन वह मन बना चुके थे कि अब वे आईएएस बनकर ही रहेंगे। इसके बाद उन्होंने सिविल सर्विस एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी। घरवालों ने इस फैसले का विरोध किया। उन्होंने कहा कि इतनी अच्छी नौकरी और अच्छी सैलरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी क्यों करनी है? धीरज को उनके दोस्तों ने भी समझाया और नौकरी करने के लिए कहा, लेकिन धीरज अपने फैसले पर कायम रहे और सिविल सर्विस एग्जाम की तैयारी शुरू करI
धीरज की मेहनत लाई रंग
धीरज कुमार सिंह (Dheeraj Kumar Singh) ने जब यूपीएससी एग्जाम की तैयारी शुरू की तो यह ठान लिया कि अगर वह पहले ही अटेम्प्ट में पास नहीं हुए तो अपने पुराने पेशे में लौट आएंगे। इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की और अंत में उनकी मेहनत रंग लाई। धीरज ने पहले प्रयास में ही साल 2019 में 64वीं रैंक हासिल की और आईएएस अफसर बन गए।
सोर्स – जी न्यूज