रवीना कुंवर
Movie Review: अभिषेक बच्चन की फिल्म ‘दसवीं’ नेटफ्लिक्स और जियो सिनेमा पर रिलीज हो गई है। यह उनकी चौथवीं फिल्म है जो ओटीटी पर रिलीज हुई हैं। फिल्म में उनके साथ यामी गौतम, निम्रत कौर भी है। चितरंजन त्रिपाठी और मनु ऋषि चड्ढा जैसे मंझे हुए कलाकार भी फिल्म मे अहम किरदार निभा रहे है। मैडॉक फिल्म्स और जियो स्टूडियोज के बेनर तले बनी यह फिल्म दो घण्टे सात मिनट की है।
आइए जानते है कैसी है ‘दसवीं’।
कहानी
शिक्षा पर आधारित है फिल्म की कहानी
इस फिल्म मे अभिषेक बच्चन, गंगा राम चौधरी का किरदार निभा रहे है। गंगा राम चौधरी एक राज्य के मुख्यमंत्री है, जिस पर घोटाले का आरोप लगने पर उसे जेल हो जाती है। जिसके बाद सीएम की कुर्सी चौधरी की पत्नी बिमला देवी को मिल जाती है। वह एक गाय जैसी सिधी—साधी होती है, लेकिन कुर्सी मिलने के बाद बिमला देवी का भी रूप बदल जाता। इस किरदार को निम्रत कौर ने बखूबी से निभाया है। वहीं चौधरी साहब के जेल मे ठाठ—बाट ना हो उसके लिए यामी गौतम जेलर ज्योति के रूप में नजर आ रही है।
कहानी
दसवीं में पास या फैल, क्या होगा रिजल्ट?
फिल्म मे शिक्षा के साथ राजनीति के असल चेहरे को भी दर्शया गया है। वहीं पूरी फिल्म में चौधरी दसवीं की तैयारी करते नजर आ रहे है। जहां वो जेलर ज्योति से शर्त लगा बैठते है कि वह सीएम की कुर्सी में तभी बैठेंगे जब दसवीं की परिक्षा मे पास होंगें। रिजल्ट में चौधरी पास होगा यह नहीं, यह जानने के लिए आपको फिल्म पूरी देखनी होगी।
किरदार
निम्रत कोर की नेचुरल ऐक्टिंग रहीं दमदार
फिल्म की डोर जहां अभिषेक बच्चन के हाथ में थी तो वहीं निम्रत कौर ने अपने अभिनय से वाहवाही लूट ली। सिधी साधी औरत से पॉवर में आने के बाद निम्रत कौर ने अपने अभिनय से दर्शकों को बांध के रखा। वहीं अभिषेक बच्चन की बात करें तो उनकी अभिनय में काफी बदलाव देखने को मिला है। यामी गौतम का किरदार दमदार है लेकिन उन्होने इसे काफी सॉफट तरीके से निभाया। जबकि इस किरदार को टफ और बोल्ड तरीके से निभाना चाहिए था।
निर्देशन
अधितकर फिल्म की कहानी मानों दर्शक जानता हो
रामलीला’, ‘बर्फी’ जैसी नामी फिल्मों में अस्सिटेंट डायरेक्टर के तौर पर काम कर चुके तुषार जलोटा ने फिल्म का निर्देशन किया है। लेकिन जो बात इन सभी फिल्मों में है, वैसा जलवा ‘दसवीं’ में देखने को नहीं मिलता। यह उनकी पहली निर्देशित फिल्म है लेकिन ‘दसवीं’ दर्शको को बांधने में असफल रहीं। कमी लेखन में भी देखने को मिली। फिल्म की शुरूआत से लेकर अंत तक मानो मालूम हो कि फिल्म में आगे क्या होने वाला है।
खामियां
यहां भी रह गईं कमियां
फिल्म का विषय अच्छा था लेकिन कंटेट मे कमी महसूस हूई। फिल्म में अगर कंटेट हटके और रोमांच तरीके से दिखाते तो फिल्म थोड़ी दमदार बन पाती। ‘तारे ज़मीन पर’ और ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ जैसी फिल्मों का रेफरेंस तो लिया है लेकिर आधे से ज्यादा फिल्म रेफरेंस पर ही आधरित देखने को मिली। वहीं फिल्म में कोई एक्सपेरिमेंट देखने को नहीं मिला, जिसकी काफी जरूरत थी।
निष्कर्ष
देखें या ना देखें?
शिक्षा पर आधारित कई फिल्में बनी है। दसवीं भी उनमे से एक है। दसवीं की तैयार कर रहे छात्रों के लिए शायद फिल्म में काफी कुछ काम का मिल जाये। अगर आप निम्रत कौर की दमदार एक्टिं का रूख करना चाहते है तो हां जरूर फिल्म को एक बार देख सकते है।
हमारी तरफ से ‘दसवीं’ को दो स्टार।